सोशल मीडिया से लोकसभा चुनाव पर पड़ता प्रभाव


       



   

डॉ. अजय कुमार मिश्रा 

Lucknow Dainik Mehandi समय व्यतीत होने के साथ-साथ तकनीकी ने सभी क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन किया है समाचार का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा | समाचार क्षेत्र में बढ़ती भीड़ और कॉर्पोरेट के दबदबे ने सभी को यह एहसास दिलाया है की तीन दशक पूर्व आधे घंटे का समाचार व्यक्ति को वो सभी जानकारी दे देता था जिसकी उन्हें आवश्यकता होती थी जबकि समाचार की इस भीड़ में 24 घंटे सभी को वो परोसा जा रहा है जिसे कुछ लोग बैठ कर निर्धारित करतें है और इन सब के पीछे का उद्देश्य आपको मानसिक रूप से नियंत्रित करना है | यह अब हम सभी ने आसान भी कर दिया है क्योंकि हम अब तर्क करना भूल गए है | हमें जो परोसा जाता है उसे ही हम सही मान लेतें है | ऐसे में सोशल मीडिया ने एक नई भूमिका अदा की है सही बात जब कही नहीं सुनी जाती तो सोशल मीडिया पर वायरल होतें ही उस पर त्वरित कार्यवाही करने को सरकार भी बाध्य हो रही है | यही नवचार और शक्ति है जो यह सोचने और समझने पर विवश कर रही है की क्या सोशल मीडिया लोकसभा चुनाव पर प्रभाव डालेगा ?


कुछ युवाओं से व्यक्तिगत वार्तालाप करने पर उनका कहना था की यदि कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो इसका सीधा श्रेय यूटूबर ध्रुव राठी को जायेगा | क्योंकि इधर कुछ दिनों में ध्रुव राठी के विडियो न केवल तेजी से लोगों में प्रसिद्द हो रहें है बल्कि समाचार के मुख्य स्रोतों या यूँ कहें मीडिया घरानों द्वारा उद्देश्य पूरक समाचार न देने की कलई भी खोल दे रहें है | ध्रुव राठी अकेले ऐसे व्यक्तित्व नहीं है  बल्कि रविश कुमार, पूण्य प्रसून बाजपेयी समेत अनेकों ऐसे लोग है जो तर्क और आकड़ों के साथ वास्तविक सच्चाई आम लोगों तक पहुंचा रहें है | इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप्प, यूट्यूब, फेसबुक, एक्स पर अनेकों ऐसे व्यक्तित्व है जिनके द्वारा ऐसी सच्चाई सामने लगातार लायी जा रही है जो मुख्य मीडिया की प्रभावशाली धारा में दब कर ख़त्म हो जा रही थी | देश-विदेश की एक दो नहीं ऐसी अनेकों घटना, विवाद और सच्चाई रही है जिसे सोशल मीडिया ने आम जन तक पहुँचाया है और जानकारी वायरल होने के पश्चात सरकार को न चाहतें हुए भी उस पर एक्शन लेना पड़ा है |


वर्तमान में चल रहें लोकसभा चुनाव के कुल सात चरणों में से चार चरण का चुनाव पूरा हो गया है और पाचवें चरण का चुनाव 20 मई को है | अभी तक किये गए प्रचार- प्रसार को आप देखे तो राजनेताओं ने न केवल सभी हदे पार कर दी बल्कि यह सभी को एहसास करा दिया है की कुर्सी के लिए वो कितने निचे गिर सकते है | समाचार पत्र और चैनल्स स्वयं पार्टियों का प्रचार-प्रसार आम आदमी के हितों की अनदेखी करके कर रहे है | आम जनता की जमीनी समस्याएँ जस की तस कराह रही है जबकि सभी के अपने-अपने दावे है | रोजगार की मांग को सीधे अनसुना किया जाना | शिक्षा और स्वास्थ्य की लागत आम आदमी की पहुँच से दूर हो जाना, बढ़ती महंगाई और अमीरी-गरीबी की खाई समेत अनेकों बातें है जिसका संज्ञान चुनावी पार्टियों ने नहीं लिया है जिन्होंने लिया भी है उनका उद्देश्य सिर्फ वोट पाने तक सीमित है | ऐसे में सोशल मीडिया की भूमिका अब अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है | कई दिग्गजों के एक्स पोस्ट पर आप को सीधे कटाक्ष करने वाले पोस्ट देखने को मिलेगे | यानि की लोगों को बात रखने का एक अनूठा माध्यम सोशल मीडिया ने दिया है और अब वह दिन प्रतिदिन प्रभावशाली भी हो रहा है | हाँलाकि सोशल मीडिया पर भी नियंत्रण के लिए कई अटैक हुए है पर अभी भी वह दबाव में नहीं दिखाई दे रहा है |


इस लोकसभा चुनाव में यह सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया प्रभाव डालेगा पर उसका प्रतिशत क्या होगा यह अभी अनिश्चित है | पर बढ़ती हिस्सेदारी, स्वतंत्रता, सोशल मीडिया को अधिक मजबूत बना रही है जो अब समाचार पाने और देने का विश्वसनीय स्रोत बन गया है | परम्परागत समाचार प्रदाता अब अपनी शाख खोने लगे है जनता अब सीधे सवाल करने में यकीन करने वाली हो गयी है | विभिन्न बातों और वास्तविकताओं को समझने और मूल्यांकित करने के पश्चात यह आसानी से कहा जा सकता है की वर्तमान लोकसभा चुनाव पर सोशल मीडिया प्रभाव डालने जा रहा है और भविष्य में होने वालें चुनावों में और गहराई से प्रभावशाली प्रभाव डालने वाला होगा | क्योंकि समय के साथ-साथ इनके उपयोगकर्ताओं में वृद्धि होगी और सभी के द्वारा पोस्ट किये जा रहें आकड़ों और विवरणों के प्रति उनकी स्वयं की जिम्मेदारी भी | हालाँकि केंद्र सरकार ने एक निति के तहत सभी तरह के सोशल प्लेटफार्म पर कुछ भी लिखने को लेकर एक नया नियम बनाया है | दिलचस्प होगा की आम जन के लिए आजादी का यह प्लेटफार्म कब तक स्वयं आजाद रह पाता है और चुनावों में अपनी भूमिका कितनी प्रतिबद्धता के साथ निभा पाता है | पर इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता की चल रहें लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया व्यापक रूप से प्रभाव डाल रहा है और यदि सरकार बदल जाती है या ऐसा परिणाम आता है जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की हो तो उसकी देन सोशल मीडिया ही माना जायेगा | फिलहाल स्वतंत्रत रूप में जानकारी प्राप्त करने और देने में सोशल मीडिया का अभी कोई प्रतियोगी नहीं दिखता है |  

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