धर्म की स्थापना हेतु होता है भगवान का अवतार : पं. अखिलेश मिश्र


खुटहन/जौनपुर। क्षेत्र के बीरमपुर गाँव मे आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में रविवार को कथा रसिक जनों को संबोधित करते हुए व्यास पीठ से पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र ने कहा कि जब - जब पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई, अधर्म बढ़ा, देव,गौ,विप्र एवं दीनों पर अत्याचार बढ़ा है तब - तब सबका दुःख दूर करने के लिए प्रभु विभिन्न रूप धारण कर अधर्मियों का नाश करने के लिए अवतरित हुए हैं।रावण के अत्याचार  से जब जनता त्राहि - त्राहि करने लगी तो प्रभु ने श्री राम जी का रूप धारण कर रावण का संहार किया और लोगों को अत्याचारियो आतताईयो से मुक्त किया। कंस के त्रास से दुःखी देव,धेनु एवं ब्राह्मणों की रक्षा के लिए प्रभु ने श्री कृष्ण का रूप धारण किया। श्री मिश्र ने कहा कि यद्यपि परमात्मा किसी को मारने के लिए अवतार नही लेते, वे तो अपने भक्तों को तारने के लिए आते हैं। 

जब भक्तो को दुःखी देखते है तो विभिन्न रूप धारण करके भक्तों की रक्षा करते है।प्रह्लाद जी की रक्षा के लिए प्रभु ने नरसिंह  रूप धारण किया।होलिका दहन के विषय में विस्तार से वर्णन करते हुए व्यास जी ने कहा कि होलिका अहंकार की प्रतीक है। प्रभु अहंकार का विनाश  सर्वप्रथम करते है। प्रह्लाद को जलाने के चक्कर में होलिका स्वयं ही जलकर भस्म हो गयी। वामन चरित्र,सूर्य चंद्र वंश वर्णन के वृतांत वर्णनोपरांत बड़े धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। मुख्य यजमान राम अछैबर तिवारी ने पूजन आरती किया।केशव प्रसाद तिवारी नेआगन्तुकों का स्वागत किया। इस शुभ अवसर पर ज्योतिष तिवारी,भानु प्रताप तिवारी,अच्छेलाल पाण्डेय आदि श्रोतागण उपस्थित रहे।

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